| 1. | अतएव राघव! दुख की घड़ी सामने आने पर शोक करना उचित नहीं है।
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| 2. | मृत्यु पर शोक करना व्यर्थ है, यह तो एक अटल सत्य है जिसे टाला नही जा सकता।
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| 3. | मृत्यु पर शोक करना व्यर्थ है, यह तो एक अटल सत्य है जिसे टाला नही जा सकता।
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| 4. | जब हम इस बात को अच्छी तरह समझ जाते हैं, तो मृत्यु पर शोक करना बंद कर देते हैं।
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| 5. | सीधी बात यह है कि मृत्यु पर शोक करना या तेरहवीं और श्राद्ध करना विषाद को ही जन्म देता है।
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| 6. | सीधी बात यह है कि मृत्यु पर शोक करना या तेरहवीं और श्राद्ध करना विषाद को ही जन्म देता है।
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| 7. | व्याख्या-यहाँ कबीर दास जीइस शाश्वत सत्य के और इशारा करते हैं कि यहाँ सब नश्वर है और जो आया है वह जायेगा इसलिए किसी की मृत्यु पर शोक करना व्यर्थ है।
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